आ मानवता धारण कर लें
दिनेश शर्माकौन है अपना कौन पराया
व्यर्थ का मत कर यह प्रलाप
आ मानवता धारण कर लें
हम हर इक-दूजे के संताप
चल मानवता धारण कर लें . . .
निश्चित पतन हुआ है मानो
मानव के संस्कारों में
अपना पराया ढूँढ़ रहे हम
लाशों के अम्बारों में
बहुत ख़ूब एहसास हो गया
कितने समझदार हैं आप
चल मानवता धारण कर लें . . .
इधर उधर की बातें न कर
कब तक सच झुठलाओगे
है आज यह कल वह सही
चले तुम भी इक दिन जाओगे
राजनीति कुछ पल तो छोड़ो
क्या अपनी डफली अपना राग
चल मानवता धारण कर लें . . .
संपूर्ण विश्व में यहाँ वहाँ
मची हुई अफ़रा-तफ़री
सबके भीतर ख़ौफ़ भरा है
क्या ग्रामीण और क्या शहरी
है सर्वत्र रूदन और क्रंदन
संतप्त खड़ा है मानव आज
चल मानवता धारण कर लें . . .
सच है बाहर हवाएँ भी अब
जीवन के अनुकूल नहीं
विकट समस्या भारी है
पर घबराना तो ठीक नहीं
क्या आत्मसमर्पण है उचित
जो गए बैठ धर हाथ पे हाथ
चल मानवता धारण कर लें . . .
यत्र तत्र सर्वत्र धरा पर
जाने कितनी लाश पड़ी
हाय दुखद है श्मशानों पर
प्रतीक्षा में भीड़ खड़ी
दारुण पल है हृदय विदीर्ण
रख धीरज तू अपने साथ
चल मानवता धारण कर लें . . .
दे त्याग भरोसा सत्ता के
बधिर मूक गलियारों का
आत्मबल ही हरण करेगा
गहन हुए अँधियारों का
आत्मविश्वास की ले कमान
चढ़ा प्रयत्न का तीर चाप
चल मानवता धारण कर लें . . .
हालात भयावह हैं बेशक
परिस्थितियाँ प्रतिकूल भई
है कौन समस्या महा प्रबल
जो पुरुषार्थ सम बड़ी हुई
बन फल विरत हो कर्मरत
कर्तव्य मार्ग पर बढ़ा पाद
चल मानवता धारण कर लें . . .
यह समय भी बीत जाएगा
लौट समय वह फिर आएगा
है सृष्टि का नियम सनातन
जो बोया था वह पाएगा
मर्यादा की लक्ष्मण रेखा
सदा लाँघ हुआ अनुताप
चल मानवता धारण कर लें . . .