21वीं सदी की नारी!
डॉ. माध्वी बोरसेउठाओ क़लम, पुस्तक व लैपटॉप
करो परीक्षा की तैयारी,
कुछ तुम उठाओ, कुछ परिवार में बाँटो
अपने घर की ज़िम्मेदारी,
लिखने, पढ़ने व काम करने की अब है
तुम्हारी भी बारी,
भूलो ना, याद रखो
तुम हो 21वी सदीं की नारी!
हाँ हाँ भूलो ना और याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
सीखो करना आत्मरक्षा, ना पैदा हो
अब कोई अत्याचारी,
खुल के जीओ
पहनो जींस, टॉप, स्कर्ट हो या सारी
बनो बलशाली, ताकतवर,
बहुत अब तक कहलाई तुम प्यारी,
भूलो ना, याद रखो
तुम हो 21वी सदीं की नारी!
जी हाँ भूलो ना और याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
भले ही हो तो माँ, बेटी, बहन,
पर सबसे पहले तुम हो एक नारी,
तुम्हारा भी है ख़ुद का वजूद,
तोड़ो रूढ़ीवादी परंपराएँ सारी,
रहो प्रसन्न चित्त, दिखा दो
इस दुनिया को अपनी कलाकारी,
भूलो ना, याद रखो
तुम हो 21वी सदीं की नारी!
हाँ जी हाँ भूलो ना और याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
ना चुप बैठो ना शर्माओ,
सुनाओ तुम करारी,
ग़लत के ख़िलाफ़ उठाओ आवाज़ और तुम
कर दो मुक़दमा जारी,
अब जीतो व जीताओ
अब तक बहुत जगह हारी,
भूलो ना, याद रखो
तुम हो 21वी सदीं की नारी!
सुनो, भूलो ना और याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
कभी आग, तो कभी पानी,
कभी बन जाओ चिंगारी,
ख़ुश हो जाओ, चाहे आए –
बेटे या बेटी की किलकारी,
औरत ना कभी थी और
ना कभी कहलाएगी बेचारी,
भूलो ना, याद रखो
तुम हो 21वी सदीं की नारी!
जान लो भूलो ना और याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
चलाओ बाइक, एयरोप्लेन,
ऑटो हो या फ़रारी,
कोई धमकाएँ व डराएँ
तो पड़ जाओ उनपर भारी,
हो जाओ शिक्षित, निखारो अब भविष्य
लेते जाओ जानकारी,
भूलो ना याद रखो
तुम हो 21सदीं की नारी!
मान लो भूलो ना और याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
कोई दखलंदाज़ी करे,
तो बन जाओ चाकू छुरी और आरी,
सब फ़ैसले तुम्हारे हों,
यह ज़िन्दगी है तुम्हारी,
शांति का प्रतीक, तो कभी –
तुम बन जाओ क्रांतिकारी,
भूलो ना, याद रखो
तुम हो 21वी सदीं की नारी!
पहचान लो, भूलो ना और याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
तुम्हें भी हक़ है,
बनाओ दोस्ती यारी,
कभी मॉडर्न, तो कभी
बन जाओ संस्कारी,
कभी घरेलू, कभी व्यवसाय,
कभी बनो तुम व्यापारी,
भूलो ना याद रखो
तुम हो 21सदीं की नारी!
समझ लो और भूलो ना और याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
कभी पार्वती, कभी दुर्गा तो
कभी बन जाओ काली,
बनो स्वाभिमानी, करो जो ठानी,
ना होना पड़े आभारी
हर क्षेत्र में, हर व्यवसाय में
हो तुम्हारी तरफ़दारी,
भूलो ना, याद रखो
तुम हो 21वी सदीं की नारी!
आप भी, भूलो ना और याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
विवाहित हो या हो विधवा,
या हो तुम कुँवारी,
दिखा दो इस दुनिया को,
क्या होती है वफ़ादारी,
जाने तुम्हें जहान,
तुम में भी मैं भी हो ख़ुद्दारी,
भूलो ना याद रखो
तुम हो 21सदीं की नारी!
हाँ जी, भूलो ना और याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
मिल के लाओ एक बदलाव,
देख के दफ़ा हो भ्रष्टाचारी
दिखाओ क्या होती है, मेहनत व
शिद्दत से काम करके ईमानदारी,
गर्व से ऊँचा हो सर व
हिम्मत हो बहुत सारी,
भूलो ना, याद रखो
तुम हो 21वी सदीं की नारी!
देखो, भूलो ना याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
उठाओ क़लम, पुस्तक व लैपटॉप
करो परीक्षा की तैयारी,
कुछ तुम उठाओ, कुछ परिवार में बाँटो
अपने घर की ज़िम्मेदारी,
लिखने, पढ़ने व काम करने की अब है
तुम्हारी भी बारी,
भूलो ना याद रखो
तुम हो 21सदीं की नारी!
हाँ हाँ भूलो ना और याद रखो
तुम हो 21वीं सदी की नारी!
डॉ। माध्वी बोरसे!
(स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)!