शोर
रचना श्रीवास्तवचहुँ ओर है शोर बहुत
भीतर बाहर हर ओर
तभी सुनाई नहीं देती
हिमखंड के पिघलने की आवाज़
गाँव के सूखे कुँए की पुकार
धरती में नीचे जाते
जल स्तर की चीख
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