समर्पण
सजीवन मयंकमेरे गीत,
उन पाँवों के छालों के मरहम बनें।
जिन्होंने नवचरणों को राह दी॥
मेरे दीप,
उन गाँवों में सूरज बन जले।
जिन्होंने जीवन को वासंती चाह दी॥
मेरी तरुणाई,
उन बूढ़े वृक्षों को मिले।
जिन्होनें हमें मीठे फल दिये॥
मेरी उमर,
उन महाचरणों को मिले।
जिन्होने हमें
स्वतंत्र पल दिये॥
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