रक्षाबंधन
निलेश जोशी 'विनायका'तोड़े से भी जो ना टूटे
यह एक ऐसा बंधन है
सावन के पावन महीने में
आया जो रक्षा बंधन है।
रिश्तो की ये डोर निराली
भाई बहिन को लगती प्यारी
रेशम के धागे में बँधती
युगों युगों से दुनिया सारी।
मेघों का मँडरा कर आना
मस्त फुहारों का बरसाना
पेड़ों पर झूलों की मस्ती
बहनें देख देख कर हँसती।
जन्मों का बंधन है राखी
भाई बहन का प्यार है राखी
राखी पर ख़ुशियाँ हैं छाई
बहना जो भाई घर आई।
हृदयों के तारों का बंधन
याद दिलाता रक्षाबंधन
राखी बाँध दुआएँ देती
मेरी उम्र लगे यह कहती।
प्यारी बहनों का त्यौहार
हँसी ख़ुशी का हो व्यवहार
जिस घर भी जाओ तुम बहना
सबकी प्यारी बनकर रहना।
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