फिर कोई ख़त जला रहा है वो

15-01-2022

फिर कोई ख़त जला रहा है वो

ज्योतिष (अंक: 197, जनवरी द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

फिर कोई ख़त जला रहा है वो
घर की बत्तियाँ बुझा रहा है वो
 
जिससे हाथ मिलाने से, कतराता था
ज़रा देखो उसे, गले लगा रहा है वो
 
मेरे नसीब में, तुम नहीं हो लिखे
हाथों की लकीरें, दिखा रहा है वो
 
घर की मरम्मत, करने के बहाने
एक नई दीवार, उठा रहा है वो
 
चला जाता हूँ, ये जानते हुए आख़िर
मुझे नहीं, किसी और को बुला रहा है वो
 
फ़ना हो जाने का, हुनर है उसमें
दर्द की धार, तेज़ कर रहा है वो
 
एक सवाल क्या पूछा मैंने उससे
मेरी औक़ात, दिखा रहा है वो

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