आकार मधुर शृंगार मधुर
तेरे नैनों का मनुहार मधुर


नववधु जैसे घूँघट में छुपी
तेरे नैन कपाट हैं उढ़के से
मृदु कोमल तेरी पलकों पर
नव लज्जा का है भार मधुर


लट घुँघराली लहराती सी
अरूणिम तेरे मधुर अधर
आकुल ये मेरे नैन कहें
कर नैनों संग अभिसार मधुर

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें