नायाब अहसास
दीपिका सगटा जोशी 'ओझल'उम्मीदें अपना दामन अब तो खुद ही खींच लेती हैं
कभी जब फ़ुर्सतों में हम तुम्हारी बात करते हैं
बड़े नायाब अहसासों से हुए हैं रू ब रू ओझल
लबों तक अपनी हाँ तो हम अभी तक ला नहीं पाये
हक़ीकत ये है कि हम तुम्हारी ना से डरते हैं
उम्मीदें अपना दामन अब तो खुद ही खींच लेती हैं
कभी जब फ़ुर्सतों में हम तुम्हारी बात करते हैं