जाने वाले
डॉ. एग्नेस ठाकुरयादों के दीप जलाकर
दर्द की दुनिया बसाकर,
खुशियों क जहाँ तो -
क्यों चले जाते हैं
ये जाने वाले!
ये जाने वाले!
गीतों की सरगम सुनकर
भावों के पंचम सजाकर
प्यार की लय अधूरी -
क्यों छोड़ जाते हैं,
ये जाने वाले!
खुशियों का राज़ बताकर
उदासियों को हँसी सिखाकर,
होठों की फिर हँसी चुराकर -
क्यों रूठ जाते हैं
ये जाने वाले!
सोयी उमंगों को जगाकर
दिल की धड़कनओं को उलझाकर,
जाकर उस पार फिर -
क्यों नहीं आते हैं
ये जाने वाले!
यादों के बादल बनकर,
हृदय-भूमि पर बरसकर
सूखे ज़ख़्मों को हरा -
क्यों कर जाते हैं
ये जाने वाले?
ये जाने वाले....!