दर्द का पैमाना
संजीव कुमार बब्बरदर्द का अहसास
सबका अलग होता है
कोई काँटे पे
कोई फूल से
कोई धोखे पे
कोई प्रेम में
कोई खोने पे
कोई पाने पे
इसका अहसास पाता है
और ...
खोई मौत पर भी
इसे समझ नहीं पाता है
दर्द का अहसास
सबका अलग होता है
कोई काँटे पे
कोई फूल से
कोई धोखे पे
कोई प्रेम में
कोई खोने पे
कोई पाने पे
इसका अहसास पाता है
और ...
खोई मौत पर भी
इसे समझ नहीं पाता है