पिता को समर्पित कविता - ओ पिता! (O Pita)
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आज पूरे एक वर्ष हो गए पिता के अमूर्त हुए। उनका जाना शायद अमूर्त रूप में मेरे भीतर उतर आना था, तभी तो उन्हें अधिक महसूस रही ....