डॉ. ललित सिंह राजपुरोहित

डॉ.  ललित सिंह राजपुरोहित

डॉ. ललित सिंह राजपुरोहित

डॉ. ललित सिंह राजपुरोहित का जन्‍म दिनांक 26 अगस्‍त 1979 को राजस्‍थान के बीकानेर शहर में हुआ। बीकानेर शहर को छोटी काशी के साथ-साथ मरुस्‍थली टीलों एवं ऊंटों की नगरी भी कहा जाता है। बीकानेर शहर ने साहित्‍य के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्‍थापित किए हैं। डॉ. ललित सिंह को बचपन से ही साहित्‍य सृजन में रुचि थी। डॉ. ललित सिंह ने हिंदी में एमए, एमफिल तथा पीएचडी की है। पीएचडी में उनका शोध का विषय "भारत सरकार के सभी सार्वजनिक उपक्रमों में राजभाषा कार्यान्वयन की स्थिति" था। 

डॉ. ललित सिंह की रंगमंच सक्रिय भूमिका रही, कॉलेज के दिनों में प्रतिष्ठित रंगकर्मियों के साथ, बीकानेर, जयपुर,  दिल्‍ली तथा बेरेली के प्रसिद्ध नाट्योत्‍सवों में अपनी प्रस्‍तुति दी।  लेखन एवं रंगमंच साथ-साथ चलते रहे।  राष्‍ट्रीय नाटक  अकादमी, नई दिल्‍ली द्वारा राष्‍ट्रीय स्‍तर आयोजित नाटक लेखन प्रतियोगिता में डॉ. ललित सिंह को प्रोत्‍साहन पुरस्‍कार प्राप्‍त हुआ। डॉ. ललित सिंह द्वारा रचित कविताएँ, कहानियाँ क्षेत्रीय अख़बारों एवं पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रका‍शित होती रही हैं।  पत्रकारिता एवं संपादन के क्षेत्र में लेखक ने खेतेश्‍वर संदेश नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जो प्रारंभिक अंकों के बाद बंद हो गई। लेखक ने दैनिक भास्‍कर तथा राष्‍ट्रदूत जैसे समाचार पत्रों में भी काम किया। इसी दौरान डॉ. ललित सिंह को उसकी क़िस्‍मत बेंगलूरु खींच लायी जहाँ उन्‍होंने राजभाषा अधिकारी के पद पर आईटीआई लि‍मिटेड, सरकारी उपक्रम में काम किया। इसके बाद डॉ. ललित सिंह ने ओएनजीसी की सहायक कंपनी मंगलूर रिफ़ाइनरी एवं पेट्रोकेमिक्‍ल्‍स लिमिटेड ज्‍वाइन कर लिया। मंगलूरु स्थित इस कंपनी में लेखक 'राजभाषा अधिकारी' के पद पर तैनात हैं तथा राजभाषा हिंदी के कार्यान्‍वयन संबंधी कार्यों को देख रहे हैं। मंगलूरु शहर में विभिन्‍न संगठनों / हिंदी सेवा समितियों के साथ राजभाषा हिंदी प्रचार प्रसार के कार्यों से जुड़े हैं। एमआरपीएल द्वारा प्रकाशित एमआरपीएल प्रतिबिंब नामक गृह पत्रिका का संपादन डॉ. ललित सिंह द्वारा किया जा रहा है। 

प्रकाशित पुस्‍तकें :

  • आत्‍माएँ बोल सकती है (कहानी संग्रह) 

  • नई कविताएँ (कविता संग्रह)