ज़िंदगी आपकी अदालत
आंचल सोनी ’हिया’ज़िंदगी आपकी अदालत है,
उसकी परिस्थितियाँ आपका जज।
आपका ज़मीर आपका वकील है,
आपका संघर्ष आपका केस है।
आपकी असफलता इस केस की हार,
आप की सफलता इस केस की जीत है।
हारते-जीतते सब हैं मगर,
ज़िंदगी रहते कोई रिहा नहीं होता।
ताउम्र लड़ने के बाद इस अदालत,
और इस केस से एक दिन...
चार कंधे और एक जनाज़े के साथ,
आपको बाइज़्ज़त बरी किया जाता है॥
1 टिप्पणियाँ
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जिंदगी के संघर्षो को आपने अपने शब्दो मे मोतियों के रूप मे खूबसूरती से पिरोया है। बहुत अच्छी लेखन क्षमता आँचल