व्यथा शब्दों की
शबनम शर्माआसमान के ख़्याल,
धरा की गहराई,
रात्री का अँधेरा,
दिन की चमक,
शब्द बोलते हैं।
इन्सान की इन्सानियत,
हैवान की हैवानियत,
फूल की मुस्कान,
काँटों का ज्ञान,
शब्द बोलते हैं।
प्रकृति का प्रकोप,
जवान की शहादत,
विधवा का विलाप,
बच्चों की चीत्कार,
शब्द बोलते हैं।
शब्दों की चोट,
मन की खोट,
नज़रों का फेर,
गहन अन्धेर,
शब्द बोलते हैं।
शब्दों पर कटाक्ष,
शब्दों पर प्रहार,
शब्दों का दुरुपयोग,
शब्दों का आत्मदाह,
सिर्फ़ शब्द झेलते हैं।