विधवा

निलेश जोशी 'विनायका' (अंक: 168, नवम्बर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

1.
विधवा नारी
जीवन की कहानी
होती लाचारी।
2.
होता जीवन
हर पल संकट
निर्जन वन।
3.
यौवन आस
ना रंग रूप पास
अबुझ प्यास।
4.
तप्त हृदय
लिपटा श्वेत वस्त्र
विधवा हाय।
5.
कपटी जग
देखता अवसर
लेता है ठग।
6.
जीना दूभर
जो लगाता लाँछन
मन में डर।
7.
ज़हर पीना
समान है लगता
वैधव्य जीना।
8.
कलंक सहे
रहकर जीवित
किससे कहें।
9.
चलती लाश
बन जाता जीवन
होती हताश।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें