वक़्त हूँ मैं, या हूँ इनसान?

01-04-2019

वक़्त हूँ मैं, या हूँ इनसान?

भव्य गोयल

जल्दी ही बीत जाता हूँ,
पल भर में बदल जाता हूँ,
सबकी ग़लतियों का मैं गुनहगार,
मेरे साथ रहने का बुरा परिणाम,
नहीं करता किसी का सम्मान,
वक़्त हूँ मैं, या हूँ इनसान?

सूरज-चाँद सा मेरा तेज,
प्रकाश से तीव्र मेरा वेग
जल की भाँति में बहता रहूँ,
परवाह किसीकी न किया करूँ,
सब करते हैं मेरा अपमान,
वक़्त हूँ मैं, या हूँ इनसान?

झूठा सब बंधन बेकार सौगात,
किसी का ना मैं देता साथ,
अपनी क़ीमत का मोल नहीं,
इंतज़ार का कोई तोल नहीं,
मेरी चाहत से समाज अनजान,
वक़्त हूँ मैं, या हूँ इनसान?

3 टिप्पणियाँ

  • 15 Jun, 2019 07:43 AM

    kaya baat hai....... nanhe se jaan........ or aisa....... kaam........ bahut sunder......rachna

  • 25 Apr, 2019 08:25 AM

    bahut khub.......

  • 17 Apr, 2019 12:10 PM

    You really desire it .

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