तुम मेरे लिए क्या हो.

19-02-2014

तुम मेरे लिए क्या हो.

विद्या भूषण धर

तुम नहीं जानते प्रिये
तुम मेरे लिए क्या हो
तपती धरती पर
जल की फुहार हो, 
दुखियारे मन की
तरसती गुहार हो।
आकाश मे उड़ते पंछी की
स्वछन्द उड़ान हो, 
नन्हें बालक के होंठो की
मीठी मुसकान हो।
तुम नहीं जानते प्रिये
तुम मेरे लिए क्या हो ........।। 

मेरी कल्पनाओं से परे
मेरे दिल का करार हो, 
तुम ही तो मेरे
बचपन का प्यार हो।
प्यार व ममता की
जीती जागती मूरत हो,
 इस बैरी जग में तुम ही
मेरी जरूरत हो।
त्याग सरलता सहिष्णुता
श्रद्धा की पहचान हो
मेरे लिए तो तुम ही
भगवान हो।
तुम नहीं जानते प्रिये
तुम मेरे लिए क्या हो ........।। 

मेरी आन हो,
मेरी शान हो, 
मेरी धरती के तुम ही
आसमान हो 
मदमस्त पवन हो,
मुस्कुराता आकाश हो,
मेरे अंधियारे जीवन का
दिव्य प्रकाश हो।
मेरे जीवन की बस
तुम ही एक आश हो,
तुम नहीं जानते प्रिये
तुम मेरे लिए क्या हो ........।।

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