शब्द सुधार गृह

01-11-2020

शब्द सुधार गृह

अखतर अली (अंक: 168, नवम्बर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

यहाँ शब्दों की धुलाई और रँगाई की जाती है। आड़े-तिरछे शब्दों को सीधा किया जाता है। शब्दों में धार लगाईं जाती है। पीतल के शब्दों में सोने का पानी चढ़ाने का यह एकमात्र स्थान है। यहाँ शब्दों में जमा कार्बन साफ़ किया जाता है। यहाँ शब्दों की नाक छेदी जाती है, शब्दों के पैरो में घुँघरू बाँधे जाते हैं। शब्दों की कूलिंग कम हो गई है तो यहाँ उसमें गैस भरी जाती है। यहाँ शब्दों में ऑयल डाला जाता है, शब्दों की सर्विसिंग की जाती है, शब्दों को थ्रू किया जाता है, शब्दों की तुरपाई, रफ़ू होती है। शब्दों की ड्रायक्लीन और इस्तरी करने का यह एक  मात्र स्थान है।

पुराने शब्द लाइये नये शब्द ले जाइये। हमारे यहाँ शब्दों में कलफ़ चढ़ाया जाता है। अब पाइये एक किलो शब्द लेने पर बीस प्रतिशत अतिरिक्त शब्द। कांच जैसे शब्द, रुई जैसे शब्द, गुलकंद जैसे शब्द, बारूद जैसे शब्द, कारतूस जैसे शब्द।

ज़बानी जंग में घायल शब्दों की यहाँ मरहम पट्टी की जाती है, उनकी सोनोग्राफ़ी और एक्सरे रिपोर्ट निकाली जाती है। शब्दों के घुटने बदले जाते है, शब्दों के सीने में जमा कफ़ सिकाई पद्धति से निकाला जाता है, शब्दों की किडनी ट्रांसप्लेट की जाती है। 

बिन शब्द सब सून। शब्दों से समझौता मत करिये। जब इंसान नहीं रहेगा तब वह शब्दों में ही बचा रहेगा। आप के पास सौ पचास शब्द हमेशा ज़ेहन में रहने चाहिएँ। शब्द किसी भी भाषा के हों अभिव्यक्ति का सब से सशक्त माध्यम होते है।

शब्दों से फूलों की बारिश भी की जा सकती है और शब्दों के पथराव से किसी को लहूलूहान कर देना भी मुमकिन है। ज़बान के गमले में शब्दों के फूल उगाइये या विचार की गुलेल में रख कर शब्द चलाइये।

क्या कहा, उपन्यास लिखने के बाद कुछ शब्द बच गये है , अब पड़े-पड़े उनका दम घुट रहा है? यहाँ ले आइये उन शब्दों में आक्सीजन भर कर उन्हें तरोताज़ा कर देंगे, इतना महीन और पारदर्शी कर देंगे कि लगेगा ही नहीं कि यह उपन्यास का शब्द है, हर कोई यही कहेगा यह कविता से निकल कर आया हुआ शब्द है। 

क्या कहा, आप को पटकथा लिखनी है और आप के पास कहानी के शब्द हैं? नहीं नहीं श्रीमान ऐसा अनर्थ नहीं करना। कहानी के शब्द पटकथा के लिये किसी काम के नहीं। हर माध्यम के अपने शब्द अपनी भाषा होती है। आप एक काम कीजिये कहानी वाले शब्द लेकर आ जाइये और यहाँ से पटकथा के उपयुक्त शब्द ले जाइये। कहानी के शब्द हम कहीं और खपा देगे।

अगर आप रचनाकार हैं, गीत, कविता, लघुकथा, निबंध, कहानी, नाटक, उपन्यास, संस्मरण, यात्रा वर्णन, आत्मकथा, समाचार लेखन करते हैं तो आप को यहाँ आना ही चाहिये। यहाँ न सिर्फ़ शब्दों की विशाल रेंज मिलेगी बल्कि इस्तेमाल की आधुनिक तकनीक भी मालूम पड़ेगी।

अरे अरे जनाब उसे हाथ मत लगाइये, वह आप के काम के शब्द नहीं है। आप की पसंद इधर रखी है। मैं ग्राहक का चेहरा देख कर ताड़ जाता हूँ कि उसकी ज़रूरत क्या है। आप को लिखना है प्रेम पत्र और उस पैकेट में है विरह गीत के शब्द। विरह के शब्दों से मिलन का संदेश लिखोगे तो प्यार परवान चढ़ने के पहले ही ख़त्म हो जायेगा।

क़ुदरत ने हमें बहुत सी नैमतें दी हैं उनमें एक नैमत शब्द है। यह शब्द साधक का गोदाम है यहाँ हर भाव के हर तेवर के शब्द मिल जाएँगे, पैसों की कोई बात नहीं, आप तो शब्द ले जाइये पैसे कहाँ जाएँगे?

बस इतना ध्यान रखना यह शब्द बहुत साधना के बाद प्राप्त हुए हैं। इसमें एक ख़ास बात है, अगर इन शब्दों से झूठ, अश्लील, भ्रामक और देशद्रोह की बातें लिखोगे तो यह शब्द अपना प्रभाव तुरंत खो देगे, पाठकों पर इन शब्दों का कोई असर नहीं होगा, संपादक की खेद की टिप्पणी के साथ रचना लौट आयेगी।

मै समझ गया आप सोच रहे है मै तो ऐसी बात कर रहा हूँ मानो शब्दों का बहुत बड़ा जानकार हूँ, भाषा का पंडित हूँ। बिलकुल ठीक सोच रहे हैं आप। मेरे पास शब्दों की कोई वर्कशाप नहीं है, लेकिन मेरे को विश्वास है कि ऐसी एक वर्कशाप आप के अंदर मौजूद है, मैं उसी बंद पड़ी वर्कशाप को एक्टिव करना चाहता था, लगता है मेरा काम हो गया।

अब शब्दों से समझौता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जहां जिस शब्द की ज़रूरत है वहाँ  वही शब्द रखिये, उपयुक्त शब्द को तलाशिये। बहुत समृद्ध होती है भाषाये इसमें शब्दों की कमी नहीं होती। रचना में एक शब्द बैठा दिया गया तो फिर वह अनंतकाल तक वही उसी रूप और रंग में मौजूद रहेगा। कई पीढ़ी पढ़ कर जाती रहेगी पर शब्द अपने स्थान पर डटा रहेगा, क्योकि शब्द कभी मरते नहीं।

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