संधिबिन्दु की खोज
डॉ. हरि जोशीनई सड़क बनाने का लोभ,
पुरानी को त्याज्य नहीं बनाता
भावी भटकाओं से बचाने या
सतर्क करने वाला इतिहास
कभी उपेक्षायोग्य नहीं होता।
यह सुनिश्चित,
ऊबड़खाबड़ पुराने पथ के यात्री पराक्रमी रहे होंगे,
एतदर्थ यह पथ विस्मरण योग्य नहीं,
प्राचीन व अर्वाचीन को,
जोड़नेवाला महत्वपूर्ण सेतु है।
नए तुम पुरानों से छोटे हो,
चिलचिलाते हो, धूप और पानी भी सोख नहीं पाते हो,
तीव्र गति देकर, दुर्घटता कराते हो, खोटे हो।
चाहे स्वयं को नवीन कहो, चीखो,
मेरी सम्मति है, पुराने अनुभवों से भी कुछ सीखो।
पुरानापन समूचा त्याज्य नहीं,
नयापन संपूर्ण ग्राह्य नहीं,
प्रयत्न कर खोजो कोई संधिबिंदु,
जो पुराना भी हो और नया भी,
जो भावी भी हो, गया भी।
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- यात्रा-संस्मरण
- हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
-
- अराजकता फैलाते हनुमानजी
- एक शर्त भी जीत न पाया
- कार्यालयों की गति
- छोटे बच्चे - भारी बस्ते
- निन्दा-स्तुति का मज़ा, भगवतभक्ति में कहाँ
- बजट का हलवा
- भारत में यौन क्रांति का सूत्रपात
- रंग बदलती टोपियाँ
- लेखक के परिचय का सवाल
- वे वोट क्यों नहीं देते?
- सिर पर उनकी, हमारी नज़र, हा-लातों पर
- हमारी पार्टी ही देश को बचायेगी
- होली और राजनीति
- लघुकथा
- कविता-मुक्तक
- कविता
- हास्य-व्यंग्य कविता
- विडियो
-
- ऑडियो
-