सबकी जीत

रमेश ‘आचार्य’

नंदनवन का राजा शेरसिंह बहुत अत्याचारी था। जंगल के सभी जानवर उससे डरते थे। वह बेवज़ह जानवरों पर ज़ुर्माना लगा देता या दण्ड दिया करता था। शेरसिंह और उसके चापलूस जानवरों के कारण जंगल की कानून व्यवस्था बहुत ख़राब होती जा रही थी। लेकिन शेरसिंह हर बार छल-बल के द्वारा चुनाव जीत जाता था क्योंकि उसके चापलूस जानवर कार्यकर्त्ता सभी जानवर बिरादरी के मुखियों को लालच देकर अपनी तरफ़ मिला लेते थे। इस बार भी नंदनवन में राजा का चुनाव होने जा रहा था। शेरसिंह ने अपने चमचों से कहा कि चुनाव प्रचार में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। तभी एक चापलूस पलटू सियार ने कहा- "महाराज! आप चिंता न करें, आप के होते हुए भला कौन नंदनवन में चुनाव जीत सकता है। हम आज से ही आपके चुनाव प्रचार में जुट जाएँगे।" शेरसिंह ने कहा- "मुझे तुम पर पूरा भरोसा है। पैसों की चिंता मत करना। मैं तुम सबको ख़ुश कर दूँगा। अपने मिशन पर जुट जाओ।"

नंदनवन में केवल गोलू हाथी ही ऐसा था जो शेरसिंह को चुनाव में हरा सकता था, लेकिन सभी जानवर ऐन चुनाव के वक़्त अपने-अपने मुखियों के झाँसे में आ जाते थे, सो गोलू हाथी हार जाता था। एक दिन गोलू हाथी किसी काम से जा रहा था, तो रास्ते में मीकू बंदर मिल गया। मीकू ने पूछा, "गोलू दादा, कहो क्या हाल है? आज तुम उदास दिखाई दे रहे हो़?"

‘‘कुछ नहीं, बस नंदनवन की सुख-शान्ति के बारे में सोच रहा था। अगर यही हाल रहा तो नंदनवन पर मुसीबतों का पहाड़ टूटने में अब ज़्यादा दिन नहीं रहे। शेरसिंह और उसके साथी जंगल की संपदा का खूब दोहन कर रहे हैं," -गोलू दादा ने कहा।

कू बंदर ने कहा- "मैं तुम्हारा दर्द समझता हूँ, तुमने सदा नंदनवन की भलाई के बारे में ही सोचा है। लेकिन तुम चिंता मत करो, इस बार मैं अवश्य ही कोई ऐसी तरकीब निकालूँगा। बस मेरी तुमसे यह विनती है कि कल शाम तालाब के पास पहुँच जाना। मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।"

अगले दिन जब गोलू हाथी तालाब के पास पहुँचा तो देखा कि वहाँ पहले से ही बहुत से जानवर बैठे हुए थे। तभी मीकू बंदर बोला- "सब मेरी बात ध्यान से सुनो। मैंने यह सभा आप सबकी भलाई के लिए ही बुलाई है। यह तो आप सब जानते ही हो कि गोलू दादा जैसा ईमानदार और मददगार पूरे नंदनवन में ढूँढने पर भी नहीं मिलेगा। लेकिन मुझे बड़े दुख से कहना पड़ रहा है कि गोलू दादा ने इस चुनाव के बाद नंदनवन छोड़ने का फैसला कर लिया है। मैंने बहुत मिन्नतें कीं, तभी जाकर गोलू दादा इस सभा में आने को राज़ी हुए हैं।"

"आखिर ऐसी क्या बात हुई जो गोलू दादा हमसे नाराज़ होकर जा रहे हैं," - चीकू खरगोश बोला। मीकू बंदर ने कहा- "इस सबके लिए हम सब ज़िम्मेदार हैं। यह तो तुम सब जानते हो कि गोलू दादा चुनाव में हमारी भलाई के लिए खड़े होते हैं। लेकिन तुम सब चुनाव के वक़्त अपने-अपने मुखियों के फेंके गए लालच के दानों में फँस जाते हो और शेरसिंह जैसा दुष्ट हर बार चुनाव जीत जाता है।"

चीकू खरगोश ने कहा- "तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो। हम सब नंदनवन की भलाई के बारे नहीं, केवल अपनी बिरादरी के बारे में सोचते हैं। हम सबने गोलू दादा के अहसानों को भुलाया है और उन्हें धोखा दिया है। इसके लिए हम सब गोलू दादा से माफी माँगते हैं, लेकिन हम गोलू दादा को कभी भी नहीं छोड़ सकते हैं।"

सभी जानवरों ने चीकू खरगोश की हाँ में हाँ मिलाई और एकस्वर में कहा- "गोलू दादा हमें अपनी गलती का अहसास हो गया है। इस बार हम शेरसिंह को छठी का दूध याद दिला देंगे।"

नंदनवन के सभी जानवरों ने मीकू और चीकू के साथ मिलकर छोटी-छोटी टोलियाँ बनाई और गोलू दादा के चुनाव प्रचार के लिए निकल पड़े। सभी ने तन-मन-धन से गोलू दादा के लिए चुनाव प्रचार किया। अब पूरे नंदनवन में गोलू दादा के नाम की गूँज गूँजने लगी। शेरसिंह ने क्रोध में आकर अपने चमचों से कहा कि जितनी जल्दी हो, गोलू दादा के प्रचार को रोको। उसके चापलूस कार्यकर्त्ता बोले- "महाराज! आप धीरज रखें। हम आज ही जानवर बिरादरी के मुखियों के साथ बैठक करते हैं।"

वे सभी जानवर बिरादरी के मुखियों के पास गए और बोले कि देखो, चुनाव में केवल तीन दिन ही बाकी रह गए हैं। तुम्हें आज से ही गोलू दादा के प्रचार को रोकना है। कहीं ऐसा न हो कि राजा शेरसिंह का सारा ग़ुस्सा तुम पर ही फूटे। सभी जानवर बिरादरी के मुखिया डर गए और बोले- "शेरसिंह से जाकर कहिए कि आखिर जीत उनकी ही होगी।" तभी एक कार्यकर्त्ता ने उन्हें धन देकर कहा कि हमें तुमसे यही आशा है। सभी जानवरों के मुखियों ने अपना-अपना हिस्सा लिया और राजा शेरसिंह की जय बोलते हुए चले गए।

सभी मुखियों ने अपनी-अपनी जानवर बिरादरी को इकट्ठा किया और उन्हें बरगलाने लगे। तभी मीकू बंदर को इस बात का पता चल गया। वह वहाँ आया और सभी जानवरों से बोला- "क्या इस बार भी तुम गोलू दादा को धोखा दोगे? तुम्हारे मुखिया अपने लालच के कारण नंदनवन की एकता में फूट के बीज बो रहे हैं।"

तब मोनू भालू ने कहा- "नहीं मीकू भैया, हम अपने वचन से नहीं फिरेंगे और गोलू दादा के प्रति अपना फर्ज निभाएँगे। हमारे मुखिया अब हमारी आँखों में धूल नहीं झोंक सकते। हमें इनकी असलियत का पता चल चुका है। ये सब शेरसिंह के तलुवे चाटने वाले हैं और इनकी वज़ह से ही नंदनवन की सुख-शान्ति भंग हुई है। अब हम किसी से नहीं डरेंगे।"

मीकू बंदर की तरकीब काम आई। चुनाव में गोलू दादा की भारी जीत हुई और शेरसिंह की ज़मानत जब्त हो गई और उसके अत्याचारी शासन का अंत हुआ। सारा नंदनवन गोलू दादा की जय के नारों से गूँज उठा। गोलू दादा ने कहा कि यह मेरी नहीं, तुम सबकी जीत है।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें