साग़र से लब लगा के बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी

28-05-2007

साग़र से लब लगा के बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी

अब्दुल हमीद ‘अदम‘

साग़र से लब लगा के बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी
सहन-ए-चमन में आके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी

 

आ जाओ और भी ज़रा नज़दीक जान-ए-मन
तुम को करीब पाके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी

 

होता कोई महल भी तो क्या पूछते हो फिर
बे-वजह मुस्कुरा के बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी

 

महल=अवसर या अक्सर (द्विअर्थीय शब्द)

 

साहिल पे भी तो इतनी शगुफ़्ता रविश है
तूफ़ां के बीच आके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी

 

साहिल=किनारा; शगुफ़ता=ताज़ा

 

वीरान दिल है और ‘ज़िन्दगी‘ का रक़्स
जंगल में घर बनाके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी

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