बच्चा, सुबह विद्यालय के लिए निकला और पढ़ाई के बाद खेल के पीरियड में ऐसा रमा कि दोपहर के तीन बज गए।

माँ डाँटेगी... डरता-डरता घर आया। माँ चौके में बैठी थी, उसके लिए खाना लेकर। देरी पर नाराज़गी बतायी पर तुरंत थाली लगा कर भोजन कराया। भूखा बच्चा जब पेट भर भोजन कर तृप्त हो गया तो, माँने अपने लिए भी दो रोटी और सब्जी उसी थाली में लगा ली।

"ये क्या माँ! तू भूखी थी अब तक?"

"तो क्या? तेरे पहले ही खा लेती क्या?" माँ ने कहा, "तेरी राह तकती तो बैठी थी।"

अपराध बोध से ग्रस्त बच्चे ने पहली बार जाना कि माँ सबसे आख़िर में ही भोजन करती है।

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