लक्ष्य जब तक न मिले चलना हमारा काम है

15-02-2020

लक्ष्य जब तक न मिले चलना हमारा काम है

कुलदीप पाण्डेय 'आजाद' (अंक: 150, फरवरी द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

हम पथिक पथ में हमें करना नहीं विश्राम है।
लक्ष्य जब तक न मिले चलना हमारा काम है।
हम पथिक पथ में हमें करना नहीं विश्राम है।


हैं क़दम छोटे मगर नित राह पर ये बढ़ रहे।
दूर मंज़िल हो भले संघर्ष सीढ़ी चढ़ रहे।
चूमती मंज़िल क़दम यदि बढ़ रहा इंसान है।
हम पथिक पथ में हमें करना नहीं विश्राम है।
लक्ष्य जब तक न मिले चलना हमारा काम है।


हार करके राह में हम रुक कभी सकते नहीं।
मुश्किलों के सामने हम झुक कभी सकते नहीं।
जो सजाये स्वप्न अब ना भूलना आसान है।
हम पथिक पथ में हमें करना नहीं विश्राम है।
लक्ष्य जब तक न मिले चलना हमारा काम है।


पार कर दरिया सभी उस पार जाना है हमें।
जो दबीं चिंगारिया उनको जलना है हमें।
ठान लें मन में अगर तो क्या नहीं आसान है।
हम पथिक पथ में हमें करना नहीं विश्राम है।
लक्ष्य जब तक न मिले चलना हमारा काम है।


कह रहे जो लोग कुछ भी उनको कहने दीजिये।
जो उगलते हैं ज़हर उनको उगलने दीजिये।
कुछ कहे दुनिया मगर चलना हमें अविराम है।
हम पथिक पथ में हमें करना नहीं विश्राम है।
लक्ष्य जब तक न मिले चलना हमारा काम है।


जो हृदय पर चोट दें उनको कभी मत भूलना।
जो हृदय में आग है उसको नहीं काम तोलना।
न मिले मंज़िल अगर मिलता कहाँ सम्मान है !
हम पथिक पथ में हमें करना नहीं विश्राम है।
लक्ष्य जब तक न मिले चलना हमारा काम है।


ये जहाँ संघर्ष को कुछ मानता ही है नहीं।
जो हुए असफल उन्हें पहचानता ये है नहीं।
स्वयं से ही स्वयं की बनना हमें पहचान है।
हम पथिक पथ में हमें करना नहीं विश्राम है।
लक्ष्य जब तक न मिले चलना हमारा काम है।


लक्ष्य जब तक न मिले चलना हमारा काम है।

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