हवा का झोंका
डॉ. दयारामहवा का झोंका
तन को छूता
मन को छूता
मेरे जीवन का बोझा ढोता हुआ
बह रहा है धीरे-धीरे
एक गति
एक तान
शब्दों की झनझनाहट
कभी रुन-झुन
कभी कड़वड़ाहट
लेकर साथ
कंकड़-पत्थर, घास-फूस
फूलों की सौंधी गंध-मुस्कान
हवा का झोंका
बह रहा है धीरे-धीरे
लेकर जीवन के गान