हवा का झोंका

15-11-2019

हवा का झोंका

डॉ. दयाराम

हवा का झोंका 
तन को छूता
मन को छूता 
मेरे जीवन का बोझा ढोता हुआ 
बह रहा है धीरे-धीरे  
एक गति  
एक तान
शब्दों की झनझनाहट
कभी रुन-झुन
कभी कड़वड़ाहट
लेकर साथ
कंकड़-पत्थर, घास-फूस
फूलों की सौंधी गंध-मुस्कान
हवा का झोंका 
बह रहा है धीरे-धीरे
लेकर जीवन के गान

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