गुरुदेव प्रजापति - 1
गुरुदेव प्रजापति 'फोरम'सात हाईकु
1.
पंख फैला के
उड़ जाता शहर
दंगल होते।
2.
घर आकर
हाथ जोड़के बोले
हमे जीताना!
3.
साबरमती
आँसू बहाने लगी
गाँधी ग़ायब!
4.
घर आकर
बोले, कितने लोगे?
एक मत के।
5.
सत्ता की रोटी
कौन सेक रहा है?
हमें लड़ाके।
6.
हाथ में लिए
मशाल, चल पड़ी
जागृत नारी!
7.
तालाब देख
मेंढक बोला, अरे!
सागर देखो।
~गुरुदेव प्रजापति~