गुड़िया रानी
महेन्द्र देवांगन माटी(सार छंद)
छमछम करती गुड़िया रानी, खेले छपछप पानी।
उछल कूद वह करती रहती, डाँटे उसको नानी॥
बस्ता लेकर जाती शाला, ए बी सी डी पढ़ती।
कभी बनाती चित्र अनोखे, कभी मूर्ति को गढ़ती॥
साफ़ सफ़ाई रखती अच्छी, कचरा पास न फेंके।
कूड़ा कर्कट आग लगाकर, हाथ पैर को सेंके॥
सबकी प्यारी गुड़िया रानी, दिनभर शोर मचाती।
खेलकूद में अव्वल रहती, सबको नाच नचाती॥