गह गह पृथ्वी भारी है

01-09-2020

गह गह पृथ्वी भारी है

डॉ. संगीता सिंह (अंक: 163, सितम्बर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

बैठक में पाँच-सात लोग गपशप कर रहे थे कि इसी बीच बाहर शोर उभरा। सबल सिंह ने उठते-उठते कहा, "देखूँ, यह शोर क्यों हो रहा है।"

सबल सिंह काफ़ी देर तक नहीं लौटे तो सरमन सिंह बाहर गे और लौट कर उन्होंने सूचित किया कि गाँव से लगभग दो किमी की दूर एक पहाड़ी रास्ते पर सबल सिंह के बड़े भाई के ट्रक का एक्सीडेंट हो गया है। सब एकदम से सबलसिंह के न लौटने का कारण समझ गए फिर सभी लोग उधर ही दौड़ पड़े जिधर एक्सीडेंट की जगह बताई गई थी।

वहाँ लोगों का ताँता लगा हुआ था। यह हमारे गाँवों की विशेषता ही है कि संकट की घड़ी में सब अपना पराया भूल कर सहयोग के लिए दौड़ पड़ते हैं। भाव उमड़ पड़े थे जो जैसी स्थिति में था वैसा ही दौड़ता चला जा रहा था।

घटना स्थल पर एक व्यक्ति दम तोड़ चुका था; यह सबल सिंह का नज़दीकी रिश्तेदार था। सबलसिंह ने उसकी मृत देह को अपनी लोही उढ़ा दी।

बताया गया कि एक व्यक्ति पलटे हुए ट्रक के नीचे दबा है। मौक़े पर पहुँचे पुलिस के लोग भीड़ की मदद से ट्रक के नीचे दबे व्यक्ति को निकालने का प्रयत्न करने लगे।

काफ़ी प्रयत्नों के बाद वह व्यक्ति मिला। शरीर बहुत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था; उसके प्राण पखेरू उड़ गए थे। पुलिस के व्यक्ति ने मृत शरीर सड़क के किनारे रखवा दिया।

मृत निकले इस व्यक्ति का छोटा भाई जालिम सिंह भी वहीं था। दोनों भाइयों के परिवार काफ़ी दिनों से न्यारे-न्यारे रह रहे थे पर थे तो सगे भाई, सो वह दहाड़ मार कर रो रहा था। किसी ने कहा- "जालिम पहले तुम अपनी लोही से अपने भाई की मृत देह तो ढक दो।"

जालिम सकपकाया, "भैया इस समय बहुत ठंड है। लोही निकाल दूँगा तब तो मैं ठण्ड से सिकुड़ जाऊँगा।"

लोगों ने बहुत समझाया कि इतनी अधिक ठंड नहीं है, अब तो धूप भी निकल आई है; फिर आख़िर है तो तुम्हारा सगा भाई; इतनी निष्ठुरता ठीक नहीं। इस पर जालिम बुदबुदाया, "नई लोही है।"

एक पुलिस वाले ने यह सुन लिया। सगे भाई की ऐसी निष्ठुरता देख कर वह हतप्रभ रह गया, उसने अपने कंधे पर से अपना शॉल उतार कर मृतक को उढ़ा दिया।

अब दोनों मृतकों के शरीर पुलिस के ट्रक में थे। ट्रक पुलिस थाने की ओर जा रहा था, पीछे-पीछे भीड़ चल रही थी, जालिम सिंह उसी भीड़ में छिपता हुआ-सा चला जा रहा था।


गह-गह पृथ्वी भारी है = यह एक लोकोक्ति है जिसका शाब्दिक आशय है कि गज-गज भर धरती महान है अर्थात धरती का कण-कण महान है। पर इसे आमतौर पर इस अर्थ में लिया जाता है कि "संसार मे बुरे लोग भी हैं तो अच्छे लोग भी हैं।"

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