धरती (नवल पाल प्रभाकर)
नवल पाल प्रभाकरनहीं मैं
बाँझ नहीं हूँ
मेरे गर्भ में भी
वो शक्ति है
जिससे मैं
माँ बन सकूँ।
मगर...
मेरे अन्दर की
वो शक्ति
तुम्हें पैदा करनी है।
मेरे अन्दर
उच्च क़िस्म का
बीज डालना होगा
मेरी रेह, खारेपन को
बाहर निकालना होगा
तब जाकर कहीं मैं
फिर से लहलाऊँगी
मेरी गोद हरी होगी
मैं भी लाल खिलाऊँगी
झूमेगा तब मेरा बदन
मैं भी माता कहलाऊँगी।