चोट खाने का हो तुम्हें 
कितना भी अनुभव सही 
बार बार यूँ चोट खाना
अच्छा तो लगता नहीं ।

वो तो ख़ुशनसीब था
जो देवदास ही हो गया
हर किसी की गति यही हो
यह ज़रूरी तो नहीं ।

ठीक है कि हादसे
और भी करते हैं बलवती
टूटा हुआ दिल पर किसी को
दीख सकता है नहीं ।
 
दुःख और सुख का आना जाना
मानते हैं सभी सही पर;
दुःख का आ कर जल्द न जाना
झेलना क्या कठिन नहीं!

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें