छन्न पकैया
प्रिया देवांगन ’प्रियू’छन्न पकैया छन्न पकैया, माँझी नाव चलाये।
आने जाने वाले सब को, नदिया पार कराये॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, नैय्या डगमग डोले।
बैठे है सब सहमे सहमे, खेवे हौले हौले॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, चलती जीवन नैय्या।
महँगाई की मार बहुत है, नाचे ताता थैय्या॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, नदिया बहती रहती।
चलती है वह शांत भाव से, कभी नहीं कुछ कहती॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, हुई नदी अब पतली।
नाव चलाकर बच्चे खेले, सभी पकड़ते मछली॥