छद्माभिमान

22-01-2016

हम दर्पण को
पहनाते हैं तमगे
और फिर
उसमें देखते हैं
अपनी छवि को
ऐसे भरते हैं भूख
हम अपने बनाए
छद्माभिमान की

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें