भगवान महावीर
रंजना जैनजिन धर्म दर्शन का फिर हुआ सवेरा
माँ त्रिशला ने जाया ऐसा नंदन अलबेला!
धर्म तो बहुत था पर मर्म से अनजान थे
आत्म ज्ञान पाकर के हो गये निहाल से
ख़ुद से ख़ुद को जानने का आनंद गहरा
माँ त्रिशला ने जाया ऐसा नंदन अलबेला॥
अहिंसा की शक्ति ने जीना सिखा दिया
उदारता को बल मिला 'जीने दो' बता दिया
प्रेम के संदेश से शांति सुख बिखेरा
माँ त्रिशला ने जाया ऐसा नंदन अलबेला॥
तुमसे ही पायी साधना की नीति है
सत्यता के योग की अभिनव परिणीति है
मिल गया है जग को मंत्र सम्यक सुनहरा
माँ त्रिशला ने जाया ऐसा नंदन अलबेला॥