बंधन

महेन्द्र देवांगन माटी (अंक: 164, सितम्बर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

(ताटंक छंद)

 

जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे।
कुछ भी संकट आये हम पर , कभी नहीं घबरायेंगे॥

 

गठबंधन है सात जनम का, ये ना खेल तमाशा है ।
सुख दुख दोनों साथ निभाये, अपने मन की आशा है॥

 

प्रेम प्यार के इस बंधन को, भूल नहीं अब पायेंगे।
जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे॥

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