अनोखा संत

रमेश ‘आचार्य’

तन पे लंगोटी, हाथ में लाठी,
ये थे बापू के जीवन-साथी।
दुबली-पतली थी उनकी काठी,
लेकिन थे वे बहुत साहसी।
जब डरबन में अपमान हुआ,
दिल को बहुत, आघात लगा।
तत्क्षण गाँधी ने संकल्प उठाया,
फिरंगियों को है दूर भगाना।
चंपारन के किसानों को मुक्ति दिलाई,
खेड़ा मजदूरों में चेतना जगाई।
देश की जनता में जीवट भरकर,
आज़ादी की लौ जलाई।
विदेशी कपड़ों की होली जलाई,
स्वदेशी की अलख जगाई।
चरखा-खादी को अपनाकर,
असहयोग की आँधी चलाई।
निकले जब डांडी यात्रा पर,
गोरी सरकार का सिर चकराया।
नमक कानून तोड़कर,
स्वदेशी नमक बनाया।
सत्य-अहिंसा को शस्त्र बनाकर,
अगस्त क्रांति का बिगुल बजाया।
‘करो या मरो’ का नारा देकर,
देश को स्वाधीन कराया।

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