सर क्यों दाँत फाड़ रहा है?
कुछ सम कुछ विषम
इस समय तक
गणतंत्र के तोते
दिमाग वालो सावधान
धर्मपाल महेन्द्र जैन की चयनित व्यंग्य रचनाएं
भीड़ और भेड़िए
अधलिखे पन्ने
डॉलर का नोट
इमोजी की मौज में