वीरेंद्र आस्तिक

वीरेंद्र आस्तिक

वीरेंद्र आस्तिक

 

वीरेंद्र आस्तिक  (15 जुलाई 1947)  हिंदी गीत-नवगीत विधा के कवि हैं। परछाईं के पाँव, आनंद! तेरी हार है, तारीख़ों के हस्ताक्षर, आकाश तो जीने नहीं देता, दिन क्या बुरे थे आदि गीत संग्रह के अलावा इनके गीत, नवगीत, ग़ज़ल, छन्दमुक्त कविताएँ, रिपोर्ताज, ललित निबंध, समीक्षाएँ, भूमिकाएँ आदि ‘धर्मयुग’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, श्रेष्ठ हिंदी गीत संचयन, समकालीन गीत: अन्तः अनुशासनीय विवेचन, नवगीत के नये प्रतिमान, अभिव्यक्ति आदि ग्रंथों, पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। इन्होंने हिंदी गीत पर आधारित पुस्तकें—‘धार पर हम-एक’ और ‘धार पर हम-दो’ का संपादन किया है। 

जीवन वृत्त:

वीरेंद्र आस्तिक का जन्म कानपुर,  उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव रूरवाहार में 15 जुलाई 1947 में हुआ था। इनके पिता अपने क्षेत्र के एक अच्छे संगीतज्ञ और समाज सेवक थे। इनकी शिक्षा स्नातक तक हुई। वीरेंद्र सिंह ने 1964 से 1974 तक भारतीय वायु सेना में कार्य करने के बाद भारत संचार निगम लि. को अपनी सेवाएँ दीं। काव्य-साधना के शुरूआती दिनों में इनकी रचनाएँ वीरेंद्र बाबू और वीरेंद्र ठाकुर के नामों से भी छपती रही हैं। 

प्रकाशित कृतियाँ:

  • नवगीत संग्रह-'परछाईं के पाँव, आनंद! तेरी हार है, तारीख़ों के हस्ताक्षर, आकाश तो जीने नहीं देता, दिन क्या बुरे थे, गीत अपने ही सुनो

  • आलोचना—धार पर हम (एक और दो)

  • संपादित कृतियाँ—धार पर हम (एक और दो)

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