डॉ. हरीश नवल
नई दिल्ली
41 वर्ष दिल्ली विश्वविद्याल के कॉलेजों में प्राध्यापक रहे डॉ. हरिश नवल ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए., एम.लिट्, पीएच.डी. की उपाधियाँ अर्जित कीं। साहित्यकार के रूप में उन्हें रचनाकर्म करते हुए छह दशक हो चुके हैं। डॉ. नवल की 30 मौलिक, 10 सम्पादित पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं तथा 120 पुस्तकों में उनका सहयोगी लेखन है। देश, विदेश के पत्र-पत्रिकाओं में उनकी लगभग 2000 रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।
हरीश नवल की पहली पुस्तक ’बागपत के खरबूजे’ पर युवा ज्ञानपीठ पुरस्कार, दूसरी पुस्तक ‘मादक पदार्थ और पुलिस . . . ’ पर भारत सरकार का ’गोविंद बल्लभ पंत’ पुरस्कार के अतिरिक्त ’व्यंग्यश्री’ सम्मान, ‘स्नेहलता गोयंका व्यंग्य भूषण’ सम्मान सहित 13 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति वाशिंगटन तथा आर्य समाज न्यूयार्क द्वारा प्रदत्त ’व्यंग्य मनीषी’ सहित 8 अन्तरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इंडिया टुडे, ऐन.डी. टी.वी. और हिंदीवार्ता के सलाहकार रहे डॉ. नवल ने 50 देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
डॉ. नवल के साहित्य पर शोध कर रहे 18 शोधार्थियों में 10 को पीएच.डी. /एम.फिल. की उपाधि प्राप्त हो चुकी है।
सम्प्रति: भारत सरकार की प्रतिष्ठित पत्रिका ’गगनांचल’ से सेवामुक्त हो, वे स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।