विसंगतियाँ
आचार्य बलवन्तविसंगतियाँ
बदलाव के लिए
ज़बर्दस्त माँग हैं
हवा-पानी की तरह,
उन्हें पलने दो।
अँधेरा अवश्य मिटेगा,
एक दीया तो जलने दो।
विसंगतियाँ
बदलाव के लिए
ज़बर्दस्त माँग हैं
हवा-पानी की तरह,
उन्हें पलने दो।
अँधेरा अवश्य मिटेगा,
एक दीया तो जलने दो।