नव वर्ष (भुवन चन्द्र उपाध्याय)
भुवन चद्र उपाध्यायजश्न ओ जूनूं जहां में छा गया है
स्वागत नया साल तू आ गया है
अनसुलझी पहेली, सुलझने लगेगी
सवालो सैलाब, हल देने लगेगी
फ़िज़ायें गर्द अपनी, धोने लगेंगी
बहारों में शोख़ी, मचलने लगेगी
जज़्बाते दिले, नायाब आ गया है
सबको मुबारक, नया साल आ गया है
तन्हाई ज़िंदगी से रुख़्सत करेगी
वफ़ाई हर इंसा में, शिरकत करेगी
चहकेंगे चेहरे, सभी के हँसी से
दोनों जहां मिल, महकेंगे ख़ुशी से
ख़ूबसूरत ख़्वाबो ख़्याल आ गया है
सबको मुबारक, नया साल आ गया है
ज़मीं से फ़लक तक, हमदम बनेंगे
क़दम दर क़दम रख, हरदम बढ़ेंगे
हंसी चाहतों का, सफ़र आ गया है
दुआ में वफ़ा का, असर आ गया है
निगेहबां इस दफ़ा इक नया आ गया है
सबको मुबारक नया साल आ गया है
मुर्झायी हसरतें फिर, खिलने लगेंगी
दुश्वारियाँ अब दूर, हटने लगेंगी
दरमियां मोहब्बत का, आग़ाज़ होगा
नादानियाँ हये! दौर थमने लगेंगी
रुक ऐ ज़िंदगी, नया राह आ गया है
सबको मुबारक, नया साल आ गया है
उम्मीदों के लौ से, रोशन होगी दुनियां
दिलों में शराफ़त की, जलेगी बिजुलियाँ
ठुकरायेगी दोहरे, स्याह फ़लसफ़े को
चैन- ओ-अमन से, जियेगी दुनियां
सब सलामत रहें, जज़्बात आ गया है
सबको मुबारक, नया साल आ गया है
किसी पे करम सितम वो कहीं पर
बेदर्द मौसम सिकन ला गया है
फ़ासले सिमटे तब महसूस होंगे
जब सब कहेंगे वो निशां आ गया है
बेपनाह चाहतों का समां आ गया है
सबको मुबारक नया साल आ गया है