माथे पे बिंदिया चमक रही
डॉ. भावना कुँअरमाथे पे बिंदिया चमक रही
हाथों में मेंहदी महक रही।
शर्माते से इन गालों पर
सूरज सी लाली दमक रही।
खन-खन से करते कॅगन की
आवाज़ मधुर सी चहक रही।
है नये सफ़र की तैयारी
पैरों में पायल छनक रही।
माथे पे बिंदिया चमक रही
हाथों में मेंहदी महक रही।
शर्माते से इन गालों पर
सूरज सी लाली दमक रही।
खन-खन से करते कॅगन की
आवाज़ मधुर सी चहक रही।
है नये सफ़र की तैयारी
पैरों में पायल छनक रही।