मानवता
वैभव 'बेख़बर'मानवता से ही मानव ज़िन्दा है
बस ये विश्वास दिलाने आया हूँ।
किसी शास्त्र का है संज्ञान नहीं
मुझे भाषाओं का भी ज्ञान नहीं
बस मैं कुछ टूटे फूटे शब्दों से
अपने जज़्बात बताने आया हूँ
मानवता से ही मानव ज़िन्दा है
बस ये विश्वास दिलाने आया हूँ
तुम भूख की पीड़ा क्या जानो
मज़हब का पाठ पढ़ाने वालो
शिक्षा, रोज़गार की बात करो
संसद के भीतर आने जाने वालों
शोषण अत्याचार के किरदार हो
कुछ तुम भी इसके हिस्सेदार हो।
इस सियासी चालों में मत फसना
चिंतित चित आबाद करानेआया हूँ
इतिहास में कई राजा, रंक हुए हैं
महान, रैदास, कबीर संत हुए हैं
माना धन जीवन की ज़रूरत है
पर मन, लालची होना बदसूरत है
रंग भगवा ,नीला चाहे हरा होगा
पर सदा बुराई का अंत बुरा होगा
तेरे अंधकार से डूबे तन मन में
आस का एक दीप जलाने आया हूँ।
मानवता से ही मानव ज़िन्दा है
बस ये विश्वास दिलाने आया हूँ।