डॉ. पूर्णिमा केलकर

डॉ.  पूर्णिमा केलकर

डॉ. पूर्णिमा केलकर

डॉ. श्रीमती पूर्णिमा केलकर
शिक्षा :

  • एम.ए. संस्कृत- पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर प्रथम श्रेणी, प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान ( विश्वविद्यालय-स्वर्ण पदक प्राप्त) (1996)

  • यू.जी.सी. की नेट एवं जे.आर.एफ परीक्षा (1996)

  • एम.म्यूज़. (गायन), (1998), इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय,खैरागढ़

  • पीएच.डी.2002 पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय,रायपुर शोधकार्य की अवधि में जे.आर.एफ. एवं एस.आर.एफ.प्राप्त

  • एम. ए. क्लासिक्स (व्याकरण शास्त्र) 2004 प्रथम श्रेणी पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)

भाषाएँ : संस्कृत में सहज व धाराप्रवाह भाषण् क्षमता। हिन्दी, अग्रेज़ी, संस्कृत व मराठी में अध्यापन क्षमता।
अध्यापन : वर्ष 1996 से 2002 तक निरन्तर संविदा आधार पर शासकीय दू.श्री.वै. स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय, रायपुर में स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं में अध्यापन कार्य किया।
प्रकाशन :

  1. पुणे से प्रकाशित शड्दर्शन सेमिनार में दिक्तत्वविमर्शः नामक शोधलेख प्रकाशित

  2. शोध पत्रिका मेधा(शा. संस्कृत महाविद्यालय,रायपुर से प्रकाशित) में एकाधिक शोध-लेख प्रकाशित। जैसे- वरूपोऽस्त्रियाम्, तस्या भासा सर्वमिदं विभाति

  3. स्मारिका में (स्वर्ण जयन्ती विशेष पत्रिका) संस्कृत गीत, स्वानभूति इत्यादि।

  4. शोध पत्रिका सागरिका (सागर वि.वि.सागर से प्रकाशित)में दो शोध लेख प्रकाशित (प्रथमे हि विद्वांसो वैयाकरणाः और अपादान विमर्शः)

  5. विश्व संस्कृतम् (दिल्ली) शोध पत्रिका में शब्दपाकः

  6. वेद चक्षुः (सहारनपुर-शोध पत्रिका) में काल-तत्त्व नामक शोध लेख

  7. कला-सौरभ (खैरागढ़) में रसो वै सः शोध-लेख प्रकाशित विश्वविद्यालयीय पत्रिका (इं.क.सं.वि.वि.खैरागढ़) शास्त्रेशु नादानुशीलनम्- प्रकाश्यमान

  8. कला-वैभव (इं.क.सं.वि.वि.खैरागढ़) में वागर्थ विचारः नामक शोध लेख प्रकाशित।

  9. Literary- Discourse में (खैरागढ़), A new Approach to Paniniya Grammar

प्रकाशित-ग्रन्थ: पाणिनीय- परिभाषा विमर्शः (दिल्ली)(2012) में सर्वप्रिय प्रकाशन नई दिल्ली द्वारा (काव्य प्रकाश का शब्द शास्त्रीय अध्ययन) यह पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है।
सेमीनार, कार्यशालाओं में भागीदारी :

  1. ए.आई.ओ.सी. के निम्नलिखित अधिवेशन में शोधपत्र वाचन

  2. बड़ौदा- अधिवेशन 1998

  3. चेन्नई- अधिवेशन 2000

  4. जगन्नाथ पुरी- 2002

  5. वाराणसी-2004

सम्मान :

  • पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित

  • स्थानीय महाराष्ट्र मंडल द्वारा भालेराव-स्मृति सम्मान प्राप्त

  • महाकोशल कला अकादमी द्वारा योग्यता पुरस्कार

  • वर्ष 2005 में महामहिम राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम द्वारा महर्षि बादरायण व्यास सम्मान प्राप्त

  • वर्ष 2008 में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटील द्वारा शा. महिलामहाविद्यालय, रायपुर के स्वर्ण जयन्ती समारोह के अवसर पर स्वर्ण पदक सम्मानित

  • विक्रमकलिदास पुरस्कार से सम्मानित (विक्रम वि.वि. उज्जैन) 2008

  • नीलम कांगा पुरस्कार प्राप्त (नेशनल एसोसिएशन फार द ब्लाईण्ड मुम्बई) 2008

  • छत्तीसगढ़राज्य महिला आयोग द्वारा वर्ष 2010 में महामहिम राज्यपाल द्वारा सम्मानित

  • निःशक्तजन सशक्तिकरण हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार (वर्ष2011) प्राप्त

  • कालिदास समारोह उज्जैन, नवोदित प्रतिभा समागम-सागर में वादविवाद और शास्त्रार्थ स्पर्धा में पुरस्कृत।

संप्रति : 

  • इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ (छत्तीसगढ़) में सहायक प्राध्यापिका संस्कृत के पद पर कार्यरत

  • शिक्षा सत्र 2005-06 एवं 2007-08 में पुनः शासकीय स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय रायपुर में सहायक प्राध्यापक के पद पर संविदा नियुक्ति।

अन्य शैक्षणिक गतिविधियाँ :

  • नेट एवं पीएच.डी. का परीक्षाओं में अनेक छात्रों का मार्ग दर्शन।

  • वाक्पदीयपाठ-उज्जैन में सहभागिता।

  • संस्कृत सम्भाषण शिविरों में व्याकरण पाठ का आयोजन।

  • व्याकरण-शास्त्र के विविध ग्रन्थों का गुरुमुख से अध्ययन। प्रातःस्मरीणीय एवं लब्धप्रतिष्ठ विद्वानों के सान्निध्य में अध्ययन का सुअवसर। जैसे- पं. रामयत्न शुक्ल जी, पं. बच्चूलाल अवस्थी जी, पं. आद्याप्रसाद जी मिश्र।

  • चेन्नई में ए.आई.ओ.सी के अधिवेशन में पठित वासरुपोऽसियाम् नामक शोध लेख पुणे के विद्वानों द्वारा (डॉ. सरोज भाटे, डॉ. भाग्यलता पाटस्कर, डॉ. एस.डी. जोशी, डॉ. पळसुले, डॉ. वर्तक प्रभूति) प्रशंसित।

  • वर्तमान में अन्तराष्ट्रीय स्तर की विदुषी डॉ. श्रीमती पुष्पा दीक्षित एवं डॉ. मनीशा पाठक के मार्ग दर्शन में शास्त्रों का अध्ययन एवं मार्ग-दर्शन

सदस्य : अखिल भारतीय प्राच्य विद्या सम्मेलन की आजीवन सदस्या