नंद भारद्वाज

नंद भारद्वाज

नंद भारद्वाज

 राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर के माडपुरा गाँव में फागुन वदी अष्टमी, वि. संवत् २००५ (२० मार्च १९४९) को जन्म, लेकिन राजकीय दस्तावेज में १ अगस्त १९४८ दर्ज। हिन्दी और राजस्थानी में कवि, कथाकार, समीक्षक और संस्कृतिकर्मी के रूप में सुपरिचित। सन् १९६९ से कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, संवाद और अनुवाद आदि विधाओं में निरन्तर लेखन और प्रकाशन। जन संचार माध्यमों विशेषत; पत्रकारिता, आकाशवाणी और दूरदर्शन में सम्पादन, लेखन, कार्यक्रम नियोजन, निर्माण और पर्यवेक्षण के क्षेत्र में पैंतीस वर्षों का कार्य अनुभव।
प्रकाशन :

  • राजस्थानी में अंधार पख (कविता संग्रह),

  • दौर अर दायरौ (आलोचना),

  • सांम्ही खुलतौ मारग (उपन्यास)

  • अल्बेयर कामू के उपन्यास ‘ल स्ट्रैंजर‘ का राजस्थानी में अनुवाद बैतियाण प्रकाशित।

  • हिन्दी में झील पर हावी रात (कविता संग्रह),

  • संवाद निरन्तर (कला, साहित्य और संस्कृति पर साक्षात्कारों का संग्रह),

  • साहित्य परम्परा और नया रचनाकर्म (आलोचनात्मक निबंधों का संग्रह),

  • हरी दूब का सपना (कविता संग्रह)

  • संस्कृति जनसंचार और बाजार (समकालीन मीडिया पर केन्द्रित निबंधों का संग्रह) प्रकाशित ।

सम्पादन :

  • सन् १९७१-७२ में जोधपुर से प्रकाशित दैनिक ‘जलते दीप‘ का संपादन।

  • सन् १९७२ से १९७५ तक राजस्थानी साहित्यिक पत्रिका ‘हरावळ‘ का संपादन।

  • सन् १९८९ में राजस्थान साहित्य अकादमी से प्रकाशित ‘राजस्थान के कवि‘ शृंखला के तीसरे भाग रेत पर नंगे पाँव का संपादन,

  • १९८७ में राजस्थान शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित सृजनधर्मी शिक्षकों की राजस्थानी रचनाओं के संकलन सिरजण री सौरम,

  • वर्ष २००७ में नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, नई दिल्ली से स्वतंत्रता के बाद की राजस्थानी कहानियों के संकलन तीन बीसी पार का संपादन ।

सम्मान :

  • राजस्थानी ग्रेजुएट्स नेशनल सर्विस एसोसिएशन, मुंबई द्वारा ‘अंधार पख‘ पर वर्ष की श्रेष्ठ कृति का पुरस्कार सन् १९७५ में।

  • राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर द्वारा ‘दौर अर दायरौ‘ के लिए नरोत्तमदास स्वामी गद्य पुरस्कार सन् १९८४ में

  • द्वारिका सेवा निधि ट्रस्ट, जयपुर द्वारा राजस्थानी साहित्य की विशिष्ट सेवा के लिए पं ब्रजमोहन जोशी गद्य पुरस्कार सन् १९९५ में

  • मारवाड़ी सम्मेलन, मुंबई द्वारा ‘सांम्ही खुलतौ मारग‘ पर घनश्यामदास सराफ साहित्य पुरस्कार योजना के अन्तर्गत ‘सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार २००२ में।

  • सन् २००३ में दूरदर्शन महानिदेशालय द्वारा भारतीय भाषाओं की कालजयी कथाओं पर आधारित कार्यक्रम शृंखला के निर्माण में उल्लेखनीय योगदान के लिए विशिष्ट सेवा पुरस्कार,

  • सांम्ही खुलतौ मारग पर केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार २००४ में और संबोधन संस्थान, कांकरोली द्वारा वर्ष २००५ में हरी दूब का सपना पर आचार्य निरंजननाथ साहित्य पुरस्कार से सम्मानित।

सम्प्रति : दूरदर्शन केन्द्र जयपुर में वरिष्ठ निदेशक के पद पर कार्यरत।

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