विंडो शॉपिंग

16-04-2015

काँच की
दीवार से
बनी लिफ़्ट
सी
हो गई
क्यूँ
ज़िन्दगी?

जहाँ
बटन
दबाते
आते जाते
नीचे ऊपर
दिखता
विश्व का
बाज़ार
चमचमाता
दुनिया का
दिलक़श
मॉल,
दिखते हैं
आकर्षक
रिश्तों के
परिधान,
जंक फूड
सी
ख़ुशबू
उड़ातीं
चाहतें,
विष कन्या
सी
नशीली
धुन,
थिरकते
आसमां
छूते
रंगीन
फव्वारों
से
ये गीत,
मन मीत,
बन कर
रहे
छलावा,

कब तक
होगी
विंडो शॉपिंग
खाली मन
के बटुए
से
जहाँ चित्र हैं
राग है
रंग है
पर
कोई नहीं
संग है,

सब
चलते हैं
अपनी अपनी
धुरी पर
ब्रह्माड में
धरती
तारे
सूरज
या
अंजाने
सितारे से।

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