सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी

08-10-2017

सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी

डॉ. तरन्नुम बानो

आज का युग वैज्ञानिक व तकनीकी क्रान्ति का युग है। सूचना क्रांति ने पूरे भूमंडल को समेट कर छोटा कर दिया है। राष्ट्रभाषा की जगह अब विश्वभाषा की बात चल रही है। राष्ट्रीय स्तर से आगे बढ़कर एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों के साथ विविध मामलों में संपर्क करता है। उसे सांस्कृतिक, वाणिज्यपरक तथा शैक्षणिक आदान प्रदान करना ही पड़ता है।

सूचना प्रौद्योगिकी एक सरल तंत्र है जो तकनीकी उपकरणों के सहारे सूचनाओं का संकलन, प्रक्रिया एवं सम्प्रेषण करता है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कंप्यूटर का अत्यंत महत्व है जिससे व्यावसायिक – वाणिज्यिक, जनसंचार शिक्षा, चिकित्सा आदि कई क्षेत्र लाभान्वित हुए हैं।

कंप्यूटर और सूचना टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र में आज जो नया विस्फोट हुआ है वह भाषा में भी एक मौन क्रांति का वाहक बनकर आया है। अभी तक भाषा को मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ता था लेकिन आज इसे न केवल मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ रहा है, बल्कि मशीन और कम्प्यूटर की नयी भाषाई माँगों को भी पूरा करना पड़ रहा है।

हिन्दी एक सशक्त भाषा है। सदियों से भारत जैसे बहुभाषी देश की सबसे बड़ी संपर्क भाषा होने के साथ-साथ, आज यह विश्व की तीन सबसे बड़ी भाषाओं में से एक है। लगभग एक करोड़ बीस लाख भारतीय मूल के लोग विश्व के 132 देशों में बिखरे हुए हैं जिसमें आधे से अधिक हिन्दी भाषा को व्यवहार में लातें हैं। गत पचास वर्षों में हिन्दी की शब्द-सम्पदा का जितना विस्तार हुआ है उतना विश्व की शायद ही किसी भाषा में हुआ हो। विदेशों में हिन्दी के पठन–पाठन और प्रचार-प्रसार का कार्य हो रहा है। दूर संचार माध्यमों, फ़िल्मों, गीतों, हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं आदि ने भी प्रचार-प्रसार में अपनी अहम भूमिका अदा की है। तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत का वर्चस्व तेज़ी से बढ़ रहा है।

आज टेक्नॉलॉजी की भाषा को आम आदमी के नज़दीक पहुँचाने की आवश्यकता बढ़ गयी है। मुक्त बाज़ार और वैश्वीकरण के दबावों ने हिन्दी को ज़रूरत और माँग के अनुकूल ढालने में भूमिका निभाई है। विश्व में अब उसी भाषा को प्रधानता मिलेगी जिसका व्याकरण संगत होगा, जिसकी लिपि कम्प्यूटर की लिपि होगी। चूँकि हिन्दी भाषा का व्याकरण वैज्ञानिक आधार पर बना है इसलिए देवनागरी लिपि कम्प्यूटर यंत्र की प्रक्रिया के अनुकूल है। इसमें विश्व की किसी भी भाषा एवं ध्वनि का लिप्यांकन किया जा सकता है।

कम्प्यूटर के हिंदीकरण के लिए लगभग एक दर्जन भारतीय संगणक निर्माता प्रयत्नरत हैं। उनके अथक परिश्रम से आज बाज़ार में हिन्दी में कार्य करने के लिए लगभग डेढ़ दर्जन छोटे बड़े द्विभाषिक प्रोग्राम, सॉफ़्टवेअर, हार्डवेयर के रूप में उपलब्ध हैं। इनका प्रयोग करके हिन्दी भाषा और प्रकाशन उद्योग को विकसित किया गया है। बिल गेट्स ने भी स्वीकार किया है कि कम्प्यूटर की भाषा हिन्दी हो सकती है। क्योंकि रोमन लिपि की तुलना में देवनागरी लिपि अधिक वैज्ञानिक है। हिन्दी ध्वनि, विज्ञान दृष्टि से आसान और सरल है, उसमें जैसा बोला जाता है वैसा लिखा जाता है।

कम्प्यूटर में हिन्दी की बढ़ती संभावनाओं को ध्यान में रखकर इलेक्ट्रोनिक विभाग ने भारतीय भाषाओं के लिए टेक्नॉलजी विकास नामक परियोजनाओं के अंतर्गत कई प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। इस प्रयास में आई॰ आई॰ टी कानपुर और सी – डैक (प्रगत संगणक विकास केंद्र) की भूमिका प्रमुख थी। यूनिकोड इस दिशा में एक बड़ी क्रांति है। हिन्दी का यूनिकोड फॉन्ट मंगल एवं अन्य सभी भारतीय भाषाओं के फॉन्ट इनबिल्ट है। हम सभी को यूनिकोड समर्थित सुविधा का प्रयोग शुरू कर देना चाहिए ताकि पूरी दुनिया में हिन्दी कामकाज में एकरूपता लाई जा सके और एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में, दुनिया के किसी भी कोने में हमारी हिन्दी की फ़ाइल खुल जाए।

आज विंडोज़ प्लेटफ़ॉर्म में काम करने वाले अनेक हिन्दी सॉफ़्टवेयर मार्केट में उपलब्ध हैं, जैसे, सी – डैक का इज़्म आफिस, अक्षर फॉर विंडोज, सुविंडोज़ और आकृति माइक्रोसॉफ़्ट ऑफिस, हिन्दी में स्क्रीन का समस्त परिवेश जैसे कमान, संदेश, फ़ाइल नाम आदि भी हिन्दी में उपलब्ध हैं।

बीसवीं शताब्दी में जैसे-जैसे भारत ने विज्ञान और तकनीकी, अन्तरिक्ष विज्ञान, अणु विज्ञान एवं उद्योग आदि के क्षेत्र में नई मंज़िलें तय कीं, वैसे-वैसे देश में इन विषयों के हिन्दी शब्दावली को विकसित करने की कोशिश की गयी है। सूचना प्रौद्योगिकी के तहत मशीनी अनुवाद एवं लिप्यंतरण सहज एवं सरल हो गया है। सी- डैक, पुणे ने सरकारी कार्यालयों के लिए अँग्रेज़ी-हिन्दी में पारस्परिक कार्यालयीन सामग्री का अनुवाद करने हेतु मशीन असिस्टेड ट्रांसलेशन मंत्र पैकेज विकसित किया है। हिन्दी वेबसाईट के माध्यम से हिन्दी एवं देवनागरी लिपि को कंप्यूटर भाषा के रूप में विकसित करने में मदद मिल सकती है। अब वर्तमान स्थिति में वेबसाइट पर हिन्दी में इलेक्ट्रोनिक शब्दकोश उपलब्ध है। इसी तरह अँग्रेज़ी तथा भारतीय- भाषाओं में पारस्परिक अनुवाद प्राप्त करने की सुविधा भी उपलब्ध है। कंप्यूटर एवं इंटरनेट के सहारे शिक्षा का प्रसार तीव्र गति से होने की संभावना बढ़ गयी है। सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी भाषा का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। माइक्रोसॉफ़्ट, याहू, रेडिफ, गूगल आदि विदेशी कंपनियों ने अपनी वेबसाइट पर हिन्दी भाषा को स्थान दिया है।

भारत सरकार के नेशनल सेंटर फ़ॉर सॉफ़्टवेयर टेक्नालजी इंस्टीट्यूट ने सभी भारतीय भाषाओं की लिपि को कम्प्यूटर पर स्थापित करने के लिए विशेष अभियान चलाया है। अमेरिकन माइक्रोसॉफ़्ट कंपनी ने एन.सी.एस.टी.(NCST) के साथ एक संयुक्त योजना के तहत विश्व प्रसिद्ध विंडोज़ प्रणाली पर भारतीय भाषाओं को विकसित करने का कार्य शुरू किया है।

इंटरनेट सेवा के अंतर्गत ई–मेल, चैटिंग, ई-ग्रीटिंग आदि बहुपयोगी क्षेत्र में हिन्दी भाषा का विकास एवं सम्प्रेषण की संभावनाएँ अधिक हैं। कंप्यूटर पर हिन्दी भाषा ध्वनि, चित्र, एनिमेशन के सहारे विकसित की जा रही है। कई इंटरनेट साईट में प्रमुख भारतीय-भाषाओं के लिए उपयुक्त संपर्क सूत्र, ई-मेल,सॉफ़्टवेयर आदि जानकारी उपलब्ध है, जैसे www.rajbhasha.com, www.indianlanguages.com, www.hindinet.com आदि।

भारतीय-भाषाओं को विकसित करने हेतु सी – डैक मुंबई में इंडियन लेंग्वेज रिसोर्सेस सेंटर के तहत कम्प्यूटर के क्षेत्र में अनुसंधान जारी है। अब तक हिन्दी शब्दों का विशाल भंडार हिन्दी वर्ड नेट पर विकसित किया गया है। इससे हिन्दी भाषा को विश्व की प्रमुख भाषाओं के साथ जोड़ा जाएगा।

निष्कर्ष

इक्कीसवीं सदी में विज्ञान व तकनीकी क्षेत्रों में राजभाषा हिन्दी की संभावनाएँ अच्छी हैं। अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र ने भी अपने यहाँ M.B.A के छात्रों के लिए एक वर्षीय हिन्दी पाठ्यक्रम अनिवार्य कर दिया है।

यह तथ्य सबके सामने उजागर हो चुका है कि आज रेडियो, हिन्दी सिनेमा, दूरदर्शन पर आनेवाली देशी-विदेशी कार्यक्रम / हिन्दी की साइटें / मोबाइल के संदेश बड़ी मात्रा में हिन्दी को फैला रहे हैं। एक बड़ा वर्ग है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र में हिन्दी को अपना रहा है। इस वर्ग को ध्यान में रखकर डबिंग कला/ हिन्दी पेज़- मेकिंग कला / मनोरंजनीय हिन्दी (सिनेमा, दूरदर्शन आदि) का लुत्फ़ उठाने के लिए हिन्दी को सीखने हेतु पाठ्यक्रम चलाने की आवश्यकता हैं।

हालाँकि हिन्दी में कंप्यूटर शब्दावली के निर्माण में प्रयास किए जा रहें हैं फिर भी अभी भी हिन्दी तकनीकी दृष्टि से पूरी तरह विकसित नहीं है। विश्व स्तर के कई सॉफ़्टवेयर में अभी तक हिन्दी का समावेश नहीं किया गया है। आज भी इंटरनेट की 83 प्रतिशत सामाग्री अँग्रेज़ी में उपलब्ध है। भारत के लिए आवश्यक है कि इंटरनेट की प्रौद्योगिकी से अपने को जोड़े रखे और तकनीकी को हिन्दी सहित भारतीय भाषाओं में विकसित करें।

संदर्भ ग्रंथ

1. विश्व बाज़ार में हिन्दी – महिपाल सिंह, देवेंद्र मिश्र, संस्करण- 2010
2. राजभाषा हिन्दी एक उद्योग –(संघोष्ठी सार पुस्तिका) -एन.सी.एल,पुणे वर्ष – जनवरी 2013
3.राष्ट्रवाणी पत्रिका – महाराष्ट्र राष्ट्र भाषा सभा, पुणे – मई – जून(अंक-1) 2013
4. सद्भावना दर्पण पत्रिका – संपादक गिरीश पंकज – अंक 8 सितम्बर 2012

- डॉ. तरन्नुम बानो
सहायक प्राध्यापिका, हिन्दी विभाग
केन्द्रीय विश्वविद्यालय कर्नाटक

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