श्रद्धा और विश्वास

16-03-2016

श्रद्धा और विश्वास

अवधेश कुमार झा

एक व्यक्ति बहुत परेशान था। उसके दोस्त ने उसे सलाह दी कि कृष्ण भगवान की पूजा शुरू कर दो। उसने एक कृष्ण भगवान की मूर्ति घर लाकर उसकी पूजा करनी शुरू कर दी।

कई साल बीत गए लेकिन... कोई लाभ नहीं हुआ। एक दूसरे मित्र ने कहा कि तू काली माँ की पूजा कर, ज़रूर तुम्हारे दुख दूर होंगे।

अगले ही दिन वो एक काली माँ की मूर्ति घर ले आया। कृष्ण भगवान की मूर्ति मंदिर के ऊपर बने एक टांड पर रख दी और काली माँ की मूर्ति मंदिर में रखकर पूजा शुरू कर दी।

कई दिन बाद उसके दिमाग़ में ख़्याल आया कि जो अगरबत्ती, धूपबत्ती काली जी के लिए जलाता हूँ, उसे तो श्रीकृष्ण जी भी सूँघते होंगे। ऐसा करता हूँ कि श्रीकृष्ण का मुँह बाँध देता हूँ।

जैसे ही वो ऊपर चढ़कर श्रीकृष्ण का मुँह बाँधने लगा कृष्ण भगवान ने उसका हाथ पकड़ लिया। वो हैरान रह गया और उसने भगवान से पूछा - "इतने वर्षों से पूजा कर रहा था तब नहीं आए! आज कैसे प्रकट हो गए?"

भगवान श्रीकृष्ण ने समझाते हुए कहा, "आज तक तू एक मूर्ति समझकर मेरी पूजा करता था। किन्तु आज तुम्हें एहसास हुआ कि "कृष्ण साँस ले रहा है" बस मैं आ गया।"

"जय श्री कृष्णा!"

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