शाम नहीं बदलती कभी
रश्मि शर्मातुम्हारे नाम की शाम
अब तक है मेरे पास
नहीं सौंप पायी किसी को भी
अपनी उदासी
अपना दर्द, अपना डर
और अपना एकांत भी
बस करती रही इंतज़ार
ना तुम लौटे
ना कोई आ पाया जीवन में
तुम्हारे नाम सौंपी गयी शाम पर
किसी और का नाम
कभी लिख नहीं पाई
वो वक़्त
अधूरा ही रहा जीवन में
कुछ के रास्ते बदल जाते हैं
कुछ की मंज़िलें
मगर किसी-किसी की शाम
नहीं बदलती कभी।