समय के पटल पर बने चित्र कितने,
किसी ने बनाया किसी ने मिटाया।
किसी को विजय और कीर्ति मिली तो,
किसी ने पराजय और अपयश उठाया।

नूतन निरंतर समय की गति है,
मुड़कर न देखा कभी यह किसी को।
साक्षी बना यह पुरातन से सबका,
सुन्दर अतीत में समेटा सभी को।

समय न रुकता न झुकता कहीं पर,
अनवरत चलता अनन्त के पथ पर।
मानव विभाजन जो करता समय का,
दिन रात सुबह शाम की संज्ञा देकर।

वर्तमान दिखता समय के पटल पर, 
भविष्‍य से पर्दा समय ना उठाता।
समय से ही होती उत्पत्ति किसी की,
समय चक्र में अंत में वो समाता।

समय समदर्शी सभी बिन्दुओं पर,
शून्य पर हो या उच्चतम शिखर पर।
अच्छा समय सुख की संवेदना पर,
बुरा है समय निज दुखित वेदना पर।

समय अमूल्य साथ देता सभी का,
इंतज़ार करता कभी ना किसी का।
ऋतुएँ बदलती प्रकृति समय पर,
आनंदित होते है प्राणी धरा पर।

समय के दामन को थामे हुए जो,
उचित लक्ष्य को मन में साधे हुए जो।
दृढ़ संकल्प ले बढ़ा जो भी आगे,
सफलता भी स्वागत करे झुक के आगे।

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