रिश्ता मन से मन का
आस्थामन के भाव
रिश्ते की
परिभाषा को
ढूँढ़ते रहे
मन ही मन
शब्दों की
माला में
उलझकर
इस ओर से
उस ओर से
मूक सफ़र
करते रहे
मन ही मन
हर संशय
सहजता से
सुलझाकर
एक दूजे को
समझते रहे
मन ही मन
जाने कैसे
कब कहाँ
अटूट प्रेम से
बँधते रहे
मन ही मन
ये मन के भाव!