रमेशराज की तेवरी - 3

01-06-2019

रमेशराज की तेवरी - 3

रमेशराज

उसकी बातों में जाल नए
होने हैं खड़े बवाल नए।

 

बाग़ों को उसकी नज़र लगी 
अब फूल न देगी डाल नए।

 

छलना है उसको और अभी 
लेकर पूजा के थाल नए।

 

बिल्डिंग की ख़ातिर ताल अटा
अब ढूँढ़ रहा वो ताल नए।

 

आँखों से आँसू छलक रहे 
अब और कहें क्या हाल नए।

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